वेदना का घूँट पींती क्या मिले सबकुछ गँवाकर। वेदना का घूँट पींती क्या मिले सबकुछ गँवाकर।
कभी बजती नहीं बधाई कभी बजती नहीं बधाई
तेरे संग चली चारों तरफ अग्नि के, संग तेरे अपना घर छोड़ कर आई हूं, फिर भी मैं पराई हू तेरे संग चली चारों तरफ अग्नि के, संग तेरे अपना घर छोड़ कर आई हूं, फिर...
क्यों होता है क्यों होता है
बचपन बीता जिस आंगन में जिसमें खेले खेल निराले, अपनेपन की यादों में विस्मृत करके, ख़्व बचपन बीता जिस आंगन में जिसमें खेले खेल निराले, अपनेपन की यादों में विस्मृत...
क्यों फूल खिलना भूल गए हैं, क्यों हवाओं मेंं अमनेपन की खूशबू नहीं क्यों फूल खिलना भूल गए हैं, क्यों हवाओं मेंं अमनेपन की खूशबू नहीं